वर्कलोड का बढ़ता प्रेशर तनाव बढ़ाने का काम कर रहा है। कई बार काम के चक्कर में हम खुद को ही भूल जाते हैं। इससे काम भी सही तरह नहीं हो पाता है। जिसका असर हमारी मेंटल हेल्थ पर भी देखने को मिलता है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक, ग्रोथ और इंक्रीमेंट समेत कई कारणों से हम तनाव को खुद पर हावी कर लेते हैं। इससे अंदर गिल्ट, एंग्जाइटी, लॉस ऑफ सेल्फ रिस्पेक्ट और अपने से ही नाराजगी हो जाती है. कई बार खुद का आंकलना करना भी इसकी वजह हो सकती है। जिससे कोई भी खुद को इनसिक्योर समझ लेता है। ऐसे में खुद को इससे बाहर लाने के लिए लाइफ में कुछ बातों को अपनाना चाहिए। आइए जानते हैं…
नींद से समझौता न करें
दिनभर काम करने के बाद नींद भी भरपूर होनी चाहिए. यह आपकी मेंटल हेल्थ समेत ओवरऑल हेल्थ के लिए इंपॉर्टेंट होती है। नींद और मानसिक सेहत एक-दूसरे से जुड़े हैं। अगर नींद पूरी न हो तो मूड स्विंग, गुस्सा, उदासी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, 7 घंटे से कम नींद दिमाग की सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इसलिए बिना पूरी नींद लिए स्क्रीन से दूरी बनाए रखें। सोने और उठने का एक प्रॉपर समय बनाएं।
एक्सरसाइज से करें दोस्ती
चाहे घर या ऑफिस…कहीं भी कुछ देर ही सही एक्सरसाइज के लिए समय निकालें। लगातार काम करने से पीठ, कंधों, कमर औऱ गर्दन पर उसका असर पड़ता है। ऐसे में एक्सरसाइज से दोस्ती शरीर को दर्द और ऐंठन से राहत दे सकती है। सिंपल मूव्स के जरिए आप बॉडी को रिलैक्स बना सकते हैं। एक घंटे बैठने के बाद कुछ देर जरूर टहलें।
कम से कम फोन चलाएं
दिनभर फोन में लगे रहना भी मेंटल समस्या को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए सिर्फ बहुत इंपॉपर्टेंट कॉल्स ही एक्सेप्ट करें। रात को सोने से पहले अगर फोन का इस्तेमाल करते हैं तो इससे मेलाटॉनिन हार्मोन प्रभावित होता है, जिसका सीधा कनेक्शन नींद से है। अगर सुबह उठते ही फोन देखने लगते हैं तो इससे अलर्टनेस और मूड बूस्टिंग नहीं हो पाता है।
खुद के लिए ना कहना भी जरूरी
अगर ओवर बर्डन फील हो रहा है तो वर्कलोड से बचने की कोशिश करें। मेंटली तौर पर टायर्ड होने से काम पर फोकस नहीं हो पाएगा। ऐसे में खुद का ख्याल जरूरी हो जाता है। मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए ना कहना भी सीख लेना चाहिए। काम के दौरान थकान फील होने पर दूसरे प्रोजेक्ट्स को हाथ में न लें और खुद को कुछ समय रिलैक्स करने के लिए ब्रेक लें।
दिमाग फ्रेश रखने रेगुलर ब्रेक्स भी जरूरी
लगातार एक जगह ही काम करने की बजाय उनकी परफॉर्मेंस ज्यादा बेहतर होती है, जो काम से ब्रेक लेकर खुद पर भी समय देते हैं। इससे दिमाग फ्रेश होता है और नए आइडियाज आते हैं। इसलिए कुछ देर काम करने के बाद कॉफी ब्रेक जरूरी होता है। कुछ समय कलीग्स से बातचीत में भी बिताएं। कम्युनिकेशन गैप खत्म होने से कई तरह की समस्याएं आती हैं।
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