श्राद्ध का समय शुरू हो गया है। अगले 15 दिन तक हिंदू मान्यता के हिसाब से कोई शुभ काम नहीं होगा और न कोई नया काम शुरू किया जाएगा। तभी सभी पार्टियों के नेता इस दुविधा में पड़े हैं कि अगले 15 दिन में उम्मीदवारों की सूची घोषित हो या नहीं। ध्यान रहे चुनाव आयोग ने अभी तक चुनावों की घोषणा नहीं है। अगर पांच राज्यों के पिछले विधानसभा चुनावों के शिड्यूल के हिसाब से देखें तो अक्टूबर के पहले या ज्यादा से ज्यादा दूसरे हफ्ते में चुनाव की घोषणा हो जानी चाहिए। चुनाव आयोग की टीमें राज्यों का दौरा कर रही हैं और चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रही हैं। सो, पहला यक्ष प्रश्न है कि क्या चुनाव आयोग 14 अक्टूबर तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में चुनाव की घोषणा करेगा या पितृपक्ष समाप्त होने और नवरात्रों के शुरू होने का इंतजार करेगा।
दूसरा यक्ष प्रश्न यह है कि पार्टियां क्या करेंगी? भाजपा ने मध्य प्रदेश के 79 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है और छत्तीसगढ़ में भी पहली सूची में 21 नामों की घोषणा हुई है। इन दोनों राज्यों में ज्यादातर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा रूकी है। राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के लिए तो कोई नाम तय नहीं हुआ है। कांग्रेस ने अभी किसी राज्य में उम्मीदवार तय नहीं किए हैं या नाम की घोषणा नहीं की है। उसकी चुनाव समिति की बैठक भी नहीं हुई है। दोनों पार्टियों में धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष आदि को मानने वाले नेता चाहते हैं कि नवरात्रों में ही नाम की घोषणा की जाए। हालांकि कई नेता मानते हैं कि नाम घोषित होने में कोई दिक्कत नहीं है। सिर्फ नामांकन पितृपक्ष में नहीं होना चाहिए। नेताओं की यह दूसरी इच्छा पूरी हो सकती है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और कांग्रेस का आलाकमान क्या करता है और चुनाव आयोग क्या करता है?
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