रुद्रप्रयाग। बीते ढाई महीने से लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं, किंतु इन्द्रदेव मेहरबान नहीं हो रहे हैं। ऐसा ही हाल रहा तो गर्मियों में जल संकट बढ़ सकता है। विशेषकर उन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ज्यादा दिक्कतें होंगी, जहां पहले ही पेयजल संकट से लोग झूझते रहे हैं। शीतकाल में इस बार लोगों को बारिश और बर्फबारी न होने से निराशा ही मिल रही है। नवम्बर में एक-दो बार ही हल्की बारिश हुई जो असरदार भी नहीं रही। अब, जनवरी महीने का दूसरे सप्ताह भी खत्म होने वाला है किंतु बारिश के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं ऐसे में जहां पानी का संकट भविष्य के चिंता का कारण बन सकता है वहीं अब किसानों की खेती पर भी इसका असर दिख रहा है।
खेतों में गेंहू की फसल भी बिन बारिश खराब हो रही है। तो मौसमी और बेमौसमी सब्जी भी खराब होने लगी है। प्रगतिशील किसान विजय सेमवाल, राकेश बिष्ट, बवीता रावत आदि का कहना है कि बारिश न होने से सब्जी और गेंहू, सरसों की फसल खराब होने लगी है। पाला गिरने से सब्जी का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इधर, मुख्यालय सहित तिलवाड़ा, सुमाड़ी, भरदार, अगस्त्यमुनि, जखोली आदि स्थानों पर गर्मियों में पानी का संकट गहरा सकता है।
जहां पहले ही बारिश का संकट रहता है वहां समस्या और भी मुश्किलभरी हो सकती है। जिला उद्यान अधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि कई सालों में ऐसी स्थिति पैदा हुई है। बारिश न हुई तो गेंहू, सरसों सहित अनेक तरह की सब्जी खराब हो रही है। पाला गिरने से सब्जी और फसल का विकास रुक रहा है। यदि 10 दिन ऐसा ही मौसम रहा तो कृषि और उद्यान को काफी नुकसान होगा।
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