हिम सन्देश, 21 सितम्बर 2022, लखनऊ। प्रदेश सरकार मदरसों के बाद अब वक्फ संपत्तियों की जांच कराने जा रही है। इसके तहत सरकार सामान्य संपत्तियों (बंजर भूमि, भीटा, ऊसर आदि) को वक्फ संपत्तियों के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराए गए सभी मामलों को खंगालेगी। सरकार ने सभी जिलों में राजस्व विभाग के वर्ष 1989 के शासनादेश को भी खत्म करते हुए जांच एक माह में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
इस शासनादेश के तहत बंजर, ऊसर, भीटा आदि संपत्तियों को भी प्रयोग के आधार पर राजस्व अभिलेखों में वक्फ के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से प्रदेश के सभी मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है वक्फ अधिनियम-1995 के पूर्व उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1960 की व्यवस्था प्रचलित थी।
वक्फ संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराने के लिए सात अप्रैल 1989 को शासनादेश जारी किया गया था। इसी शासनादेश के तहत दर्ज की गई वक्फ संपत्तियां अधिकतर बंजर, ऊसर और भीटा की हैं। इन संपत्तियों को सही तरह से राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराने के लिए उनका सीमांकन कराने की जरूरत है। आदेश में यह भी कहा गया कि ग्राम सभाओं और नगरीय निकायों की जमीन सार्वजनिक संपत्तियां हैं, जिनका जनहित में उपयोग किया जाता है।
इन जमीनों का सात अप्रैल 1989 के शासनादेश के आधार पर प्रबंधन और स्वरूप बदलना राजस्व कानूनों के खिलाफ है। गैर वक्फ संपत्तियों को वक्फ संपत्ति में दर्ज करने की अनियमितताओं के चलते राजस्व विभाग ने पिछले महीने आठ अगस्त को सात अप्रैल 1989 वाला शासनादेश निरस्त कर दिया है। ऐसे में इस शासनादेश के आधार पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज वक्फ संपत्तियों को नियमानुसार दुरुस्त करने के लिए कहा गया है। आदेश में एक माह में जांच कर कार्रवाई करने के लिए कहा है। गलत तरीके से दर्ज वक्फ संपत्तियों को वापस सामान्य संपत्तियों में दर्ज किया जाएगा।
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