प्रदेश सरकार कड़ा स्टैंड- परिवहन मालिकों से कहा, वाहन चलाएं ,पूरी सुरक्षा देंगे, पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर
तेल-गैस कम्पनियों को कहा, आपूर्ति जारी रखें,पेट्रोल पंप पर लगी लंबी लाइन
सचिव ने विभिन्न परिवहन संघों से हुई वार्ता के बाद लिया फैसला
देहरादून। सड़क दुर्घटनाओं में “हिट एंड रन” मामलों को लेकर केंद्र द्वारा बनाए गए नए कानून के विरोध में ट्रांसपोर्ट यूनियन की देशव्यापी हड़ताल से आम जनता को हो रही परेशानी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है । और कहा कि सरकार वाहन का संचालन करने वाले परिवहन व्यापारियों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करेगी। किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस सम्बन्ध में सरकार ने सभी समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। पेट्रोल, डीज़ल, गैस इत्यादि की आपूर्ति के सम्बन्ध में परिवहन सचिव ने तेल गैस कम्पनियों के प्रबन्धकों को आपूर्ति निर्बाध बनाए रखने के निर्देश दिये गये।
मोटर वाहनों द्वारा हिट एण्ड रन मामले में किये गए प्रावधान के विरोध में देशव्यापी हड़ताल के सम्बन्ध में परिवहन सचिव ने महत्त्वपूर्ण परिवहन संघों के के साथ एक बैठक की। उनकी सुनी और सरकार का स्टैंड साफ किया। बैठक में परिवहन संघों के पदाधिकारियों ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एण्ड रन के मामलों में प्रस्तावित 10 साल की सजा तथा जुर्माने का विरोध किया गया। परिवहन व्यवसायियों का कहना था कि वाहन दुर्घटनाओं के अनेक कारण हैं जिनमें खराब सड़कें, चौराहों का उपयुक्त न होना तथा निजी वाहन के चालकों का अप्रशिक्षित होना आदि सम्मिलित हैं। कोई भी चालक किसी भी दशा में जानबूझ कर कोई दुर्घटना नहीं करता है। लिहाजा, इस तरह की कठोर सजा का प्रावधान करना न्यायसंगत नहीं है।
परिवहन व्यवसायियों ने यह भी कहा कि दुर्घटना की दशा में कई बार छोटे वाहन चालक की अथवा पैदल यात्री की भी गलती होती है। ऐसी दशा में भी यदि बड़े वाहन का चालक दुर्घटना स्थल पर रुकेगा तो उसे भीड़ की हिंसा का शिकार होने का भय रहता है। इसलिए सामान्यतया वाहन चालक दुर्घटना के पश्चात दुर्घटना स्थल से भाग जाने के लिए विवश हो जाते हैं। बैठक में सचिव, परिवहन अरविन्द सिंह हयाँकी ने परिवहन व्यवसायियों को अवगत कराया कि इस सम्बंध में अभी न तो अधिसूचना जारी हुई है और न ही उसे लागू किया गया है।
इसके अतिरिक्त सचिव, परिवहन ने कहा कि उत्तराखण्ड के परिवहन व्यवसायियों में अपनी बात को संविधान और कानून सम्मत तरीके से उचित फोरम तक पहुँचाने की स्वस्थ परम्परा विद्यमान रही है. अतः यदि प्रस्तावित कानून पर परिवहन व्यवसायियों अथवा चालकों को किसी प्रकार की आपत्ति अथवा भ्रम की स्थिति है तो वह कानून के दायरे में रहते हुए प्रतीकात्मक तरीके से अपना पक्ष रख सकते हैं जिसे भारत सरकार तक शीघ्र पहुँचाया जाएगा।
परिवहन व्यवसाय जन सरोकार से जुड़ा हुआ व्यवसाय है। अतः उक्त व्यवसाय के ठप होने से न केवल लोगों को आवागमन में असुविधा उत्पन्न होती है बल्कि आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति भी प्रभावित हो जाती है। उन्होंने कहा कि परिवहन व्यवसायियों को वाहनों का संचालन निर्बाध रूप से जारी रखते हुए ही अपना पक्ष रखना चाहिए। उत्तराखण्ड परिवहन निगम से सम्बन्धित संघों सहित कुछ परिवहन संघों द्वारा अवगत कराया गया कि वे इस हड़ताल में सम्मिलित नहीं हैं परन्तु उनके संगठनों से जुड़े वाहनों को कुछ अन्य चालकों द्वारा संचालित करने में बाधा उत्पन्न की जा रही है।
बैठक में सचिव, मुख्यमंत्री तथा मण्डलायुक्त गढ़वाल विनय शंकर पाण्डेय, पुलिस उपमहानिरीक्षक कानून व्यवस्था सुश्री पी. रेणुका देवी, प्रबन्ध निदेशक उत्तराखण्ड परिवहन निगम आनन्द श्रीवास्तव, संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के अतिरिक्त विभिन्न परिवहन संघों की ओर से सूर्यकांत धस्माना, संरक्षक, उत्तराखण्ड परिवहन निगम कर्मचारी परिषद, जितेन्द्र सिंह नेगी, अध्यक्ष, टी.जी.एम.ओ.यू. अनुसूया प्रसाद उनियाल व आदर्श सैनी सम्राट, ऑल इण्डिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस, हरेन्द्र बाल्यान, देव भूमि ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन, सुधीर राय, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड परिवहन महासंघ, मनोज ध्यानी, यातायात कंपनी, ऋषिकेश, दिनेश बहुगुणा, अध्यक्ष, गढ़वाल ट्रक यूनियन, ऋषिकेश, अशोक चौधरी, महामंत्री, उत्तराखण्ड रोडवेज कर्मचारी यूनियन, दिनेश पंत, महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तराखण्ड आदि सम्मिलित हुए।
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