लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में बढ़ोतरी का एक बड़ा खतरा सामने आ सकता है। हाल ही में बिजली कंपनियों ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सामने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें कंपनियों के बड़े घाटे को लेकर चिंता जताई गई है। प्रस्ताव में यह बताया गया कि मौजूदा दरों के तहत कंपनियों को लगभग 13,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हो सकता है। हालांकि, इस समय कंपनियों ने दर बढ़ाने के लिए कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन अगर प्रस्ताव मंजूर किया जाता है तो बिजली दरें 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं।
कंपनियों के घाटे को ध्यान में रखते हुए, विद्युत आयोग अगले साल अप्रैल से दरों में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने पर विचार कर सकता है। यह बढ़ोतरी मार्च 2024 से पहले तय की जा सकती है। वर्तमान में बिजली की दरें 2019 से लागू हैं, और यह पहली बार है जब 5 सालों बाद इन दरों में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। कंपनियों ने एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकताएँ) प्रस्ताव आयोग को सौंपा है, जिसमें घाटे की भरपाई के लिए दरें बढ़ाने का उल्लेख किया गया है।
नई दरें कब से लागू हो सकती हैं?
प्रस्ताव में बिजली खरीदने की लागत 92 से 95 हजार करोड़ रुपये के बीच आंकी गई है, जबकि मौजूदा दरों के चलते कंपनियों को 12,800 से 13,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। इस घाटे को पूरा करने के लिए दरों में बढ़ोतरी की आवश्यकता बताई जा रही है। हालांकि, कंपनियों ने औपचारिक रूप से दर बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं दिया है। अब विद्युत आयोग खुद ही कंपनियों के घाटे का परीक्षण करेगा और इसके बाद दरें बढ़ाने का फैसला करेगा। एआरआर प्रस्ताव पर परीक्षण और आवश्यक बदलावों के बाद, आयोग को 120 दिनों के भीतर अंतिम निर्णय लेना होगा। यदि सबकुछ योजना के अनुसार चलता है, तो नई दरें 1 अप्रैल 2024 से लागू हो सकती हैं।
बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी के मद्देनजर, जानकारों का कहना है कि चूंकि यूपी में चुनाव का साल नहीं है, इस कारण सरकार बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहज हो सकती है।
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