अशोक शर्मा
इस महीने के शुरू में सिंगापुर और हांगकांग में मसालों के दो मशहूर भारतीय ब्रांडों के उत्पादों पर पाबंदी लगा दी गयी। इन मसालों में घातक कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड मिलने की बात सामने आयी है, जो मानवीय उपभोग के लिए उचित नहीं है और इसे निरंतर खाने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। इस खबर के आने के बाद भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने इन उत्पादों की जांच करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मसालों के इन दोनों ब्रांड का घरेलू बाजार में भी वर्चस्व है तथा इनकी भारी मांग अमेरिका, यूरोप, मध्य-पूर्व समेत विभिन्न विदेशी बाजारों में भी है। ऐसे में दो जगहों पर पाबंदी के बाद इनके उत्पादों की गहन जांच जरूरी हो जाती है। हाल ही में खाद्य प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि ‘स्वास्थ्यवर्द्धक पेय’ बताकर बेचे जा रहे उत्पादों को इस श्रेणी से हटा लिया जाए क्योंकि ऐसी कोई श्रेणी खाद्य कानून में परिभाषित ही नहीं की गयी है। यह निर्देश भी तब जारी हुआ, जब यह पता चला कि ऐसे कुछ उत्पादों में चीनी की मात्रा बहुत अधिक है और बच्चों-किशोरों के स्वास्थ्य पर इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
खाद्य प्राधिकरण एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के बेबी फूड (नवजात शिशुओं के लिए खाद्य पदार्थ एवं पेय) में चीनी की मात्रा की जांच भी कर रहा है। रिपोर्टों में बताया गया है कि अन्य कई ब्रांडों के उत्पादों को भी जांच के दायरे में लाया जा सकता है। ऐसी आशा है कि दोषी पाये गये ब्रांडों पर कड़ी कार्रवाई होगी। इन मामलों से यह भी इंगित हो रहा है कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच और निगरानी की व्यवस्था को मुस्तैद करने की आवश्यकता है। हमारे देश में खाने-पीने की चीजों में मिलावट की समस्या बहुत पुरानी है। ऐसे कई मामले पकड़े भी जाते हैं और दोषियों को दंडित भी किया जाता है, पर फिर भी मिलावट का खेल चलता रहता है। इसे रोकने के लिए कठोर प्रावधानों की जरूरत है।
साथ ही, उन अधिकारियों को भी सजा दी जानी चाहिए, जिनकी लापरवाही से यह सब चलता रहता है। हालिया मामले इसलिए भी गंभीर हैं कि वे बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं तथा मसाले हर रसोई की जरूरत हैं। हमारे देश में बच्चों में मोटापा बढ़ना एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। उसकी मुख्य वजह बाजार के उत्पादों में चीनी जैसी चीजों की मौजूदगी है। जंक फूड, फास्ट फूड, डिब्बाबंद चीजें आदि के बारे में चिकित्सक पहले से ही आगाह करते आ रहे हैं कि ये गंभीर रोगों के कारण हैं। खाद्य पदार्थों में डाले जा रहे नुकसानदेह तत्वों से स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ेंगी। इस संबंध में उपभोक्ताओं को अधिक सचेत भी रहना चाहिए।
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