नई दिल्ली। भारतीय छात्रों का विदेश में पढ़ने का उनके लिए सपना जानलेवा साबित हो रहा है. हर साल विदेश में भारतीय छात्रों की मौत की संख्या बढ़ रही है जिसकी वजह कई हैं. इसी को लेकर संसद में मानसून सत्र में केरल के सांसद कोडीकुन्नील सुरेश के भारतीय छात्रों का सुरक्षा को लेकर सवाल पूछा.
इस सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार (26 जुलाई) को लोकसभा में कहा कि पिछले 5 सालों में प्राकृतिक कारणों सहित विभिन्न कारणों से विदेश में भारतीय छात्रों की मौत की 633 घटनाएं हुईं. कनाडा के बाद सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका (108), ब्रिटेन (58), ऑस्ट्रेलिया (57), रूस (37) और जर्मनी (24) में हुई हैं. यहां तक कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी एक छात्र की मौत हुई है.
हालांकि, दूसरे देशों में भारतीय छात्रों पर हुए हिंसक हमलों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि हाल के समय में विदेशों में भारतीय छात्रों पर हिंसा में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक, हिंसा या हमले की वजह से मारे गए छात्रों की कुल संख्या 19 है.,इनमें से सबसे ज्यादा 9 मौतें कनाडा में हुई हैं, इसके बाद अमेरिका में 6, और ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन और किर्गिस्तान में एक-एक मौत हुई है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के मामलों को भारतीय दूतावास तुरंत संबंधित देश के अधिकारियों के साथ उठाते हैं ताकि उनकी सही जांच हो सके और दोषियों को सजा मिले. आपातकालीन या संकट की स्थिति में, भारतीय दूतावास विदेशों में फंसे भारतीय छात्रों की मदद करते हैं, उन्हें खाना, रहने की जगह, दवाइयां मुहैया कराते हैं और जल्द से जल्द भारत वापस लाने की कोशिश करते हैं. हाल ही में, बांग्लादेश से कई भारतीय छात्रों को वंदे भारत मिशन, ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन) और ऑपरेशन अजय (इज़राइल) के माध्यम से भारत लाया गया. भारतीय दूतावास विदेशों में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों को खुद से रजिस्टर करने और मदद पोर्टल पर भी रजिस्टर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि उनकी शिकायतों और समस्याओं का समयबद्ध तरीके से समाधान किया जा सके.”
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