नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 मई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत बढ़ाने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. इस याचिका में आप की तरफ से दिल्ली सीएम की सात दिन की जमानत बढ़ाने की मांग की गई थी.
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था और तिहाड़ जेल में बंद किया गया था. उन्हें लोकसभा चुनाव को लेकर जारी प्रचार के लिए जमानत दी गई है. 2 जून को उन्हें फिर से आत्मसमर्पण करना है.
जस्टिस जेके माहेश्वरी और केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि अंतरिम याचिका को सूचीबद्ध करने पर निर्णय माननीय सीजेआई की तरफ से ही लिया जा सकता है क्योंकि मुख्य मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया है.
पीठ ने अभिषेक सिंघवी से पूछा कि पिछले हफ्ते अरविंद केजरीवाल की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए क्यों नहीं उल्लेख किया गया था, जब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली मुख्य पीठ के न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता बैठे थे, जिसने मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार करने में सक्षम बनाने के लिए 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी. हालांकि, उन्हें अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय का दौरा करने और आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया गया है.
केजरीवाल की इस याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री को कुछ मेडिकल टेस्ट कराने है. जेल में रहने के दौरान उनका वजन काफी कम हुआ है. ऐसे में उनके स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. यही कारण है कि आप की तरफ से उनकी जमानत बढ़ाने के लिए याचिका दाखिल की गई है.
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