December 25, 2024

हिम सन्देश

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आज से शुरु हुआ मां दुर्गा की आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र, यहां पढ़िए कलश स्थापना व पूजा की विधि 

आज से शुरु हुआ मां दुर्गा की आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र, यहां पढ़िए कलश स्थापना व पूजा की विधि 

देहरादून। मां दुर्गा की आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र आज रविवार से शुरू हो गया है। नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की धूम रहेगी। इसके लिए शहर में पंडाल सज गए हैं। रविवार को घट स्थापना की जाएगी।आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से घट स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी।

रविवार को कलश स्थापना के लिए दोपहर 11:44 से दोपहर 12:30 बजे तक 46 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। आचार्य सुशांत राज ने बताया कि, शारदीय नवरात्र के नौ दिनो तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन माता रानी धरती लोक पर विचरण करती हैं। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 अक्तूबर को रात 11:24 बजे से होगी और 15 अक्तूबर को रात 12:32 बजे तक रहेगी। उदयतिथि को देखते हुए शारदीय नवरात्र 15 अक्तूबर रविवार से शुरू होंगे। वहीं, इससे पहले शनिवार को घर-घर में भक्तों ने श्रद्धा के साथ सांझी मां की स्थापना की गई। मां आदिशक्ति के स्वरूपों के साथ शारदीय नवरात्र पर सांझी मां की भी रोजाना पूजा-अर्चना की जाएगी। नवरात्र में इस बार मां हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन होती है, उसके आधार पर उनकी सवारी तय होती है। रविवार या सोमवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।
आचार्य सुशांत राज के अनुसार मंदिर में सफाई के बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक चिह्न बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें और इसे कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आह्वान करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। ज्योतिषाचार्य विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया, माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता पर्वतराज हिमालय हैं। गौरवर्ण वाली मां शैलपुत्री की सवारी बैल है। वे एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे में कमल का फूल धारण करती हैं। चंद्रमा उनके मस्तक की शोभा बढ़ाता है।

नवरात्र के लिए शहर भर के मंदिरों और घरों में विशेष तैयारियां की गई हैं। मंदिरों और विभिन्न पंडालों में चहल-पहल बढ़ गई है। शनिवार को शहर भर के बाजारों में पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए रौनक देखने को मिली। सहारनपुर चौक, पलटन बाजार और हनुमान चौक में दुकानों और सड़कों पर भीड़ रही। भक्तों ने मूर्ति, कलश, नारियल, शृंगार, फूल-मालाएं खरीदीं। झंडा बाजार के दुकानदार विवेक गुप्ता ने बताया, इस साल पिछले साल के मुकाबले पूजन सामग्री के दामों में बढ़ोतरी हुई है। खरीदारी के लिए कांवली से आईं अनीता देवी, सोमवती और कमलेश ने बताया, घट स्थापना के बाद कीर्तन कर मां का स्वागत करेंगे। इससे पहले मां दुर्गा का विशेष शृंगार किया जाएगा।