पढऩे के दौरान कई बार किताबें उठाते ही क्या आपके बच्चे को भी नींद आने लगती है. बच्चों ही नहीं बड़ों के साथ भी ये समस्या देखने को मिलती है. चाहकर भी वे पढ़ नहीं पाते हैं. अगर आपके या आपके जानने वाले किसी के साथ भी ऐसा ही हो रहा है तो जानें इसका कारण और कैसे इस परेशानी से बच सकते हैं…
किताबें उठाते ही क्यों आती है नींद
दरअसल, जब हम पढ़ाई करते हैं तो आंखों से जुड़े मसल्स पर प्रेशर पडऩे लगता है. हमारा ब्रेन पढ़ी हुई चीजों को याद कर उसे कलेक्ट करता रहता है. जब आंखों के मसल्स थक जाते हैं या स्लो काम करने लगते हैं तो नींद आने लगती है. कई बार पढऩे के दौरान हमारे बैठे का तरीका भी गलत होने पर नींद आ सकती है. यह बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसे सफर के दौरान बस या ट्रेन में बैठे-बैठे ही हम सो जाते हैं। इसलिए पढ़ाई के दौरान बॉडी पोस्चर को इस तरह रखना चाहिए, जिससे उसे न ज्यादा आराम महसूस हो और ना ही ज्यादा सुस्ती लगे।
पढ़ाई करते हुए आए नींद तो जानें क्या करें
1. अंधेरे में पढ़ाई न करें
जब भी आप पढ़ाई करने बैठे तो ऐसी जगह चुनें जहां पर्याप्त रोशनी हो. इससे आंखों पर कम प्रभाव पड़ेगा और कम रोशनी वाली जगह बैठने से भी बच जाएंगे.अंधेरे में पढ़ाई करने पर नींद आने लगती है।
2. ओपन स्पेस में ही पढ़ें
खुली जगहों जैसे छत या बालकनी में हवा और रोशनी काफी अच्छी आती है। इसलिए ऐसी जगहों पर पढ़ाई करना चाहिए. इससे सुस्ती कम महसूस होगी और नींद भी नहीं आएगी. इसका फायदा आंखों को भी होगा।
3. कभी भी बिस्तर पर न पढ़ें
कुछ लोग बिस्तर पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. ऐसा करने से आलस और सुस्ती महसूस होती है. जिससे पढऩे में बिल्कुल भी मन नहीं लगेगा. इसलिए जब भी पढ़ाई करें तो टेबल और कुर्सी पर करें. इससे नींद से बच जाएंगे।
4. पढ़ाई से पहले हल्का भोजन ही करें
ज्यादा खाने के बाद सुस्ती और नींद आना स्वाभाविक है। ऐसे में जब भी खाना खाएं तो तुरंत बाद पढऩे न बैठें। पढऩे से पहले हल्का और पचने वाले भोजन करें. इससे नींद नहीं आएगी और आलस भी नहीं लगेगा।
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