भागदौड़ भरी जिंदगी में चैन की नींद ले पाना काफी मुश्किल है। हर पल दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है, जो नींद को पूरी तरह डिस्टर्ब करता है। सोने और जागने का शेड्यूल बिगडऩे से सेहत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. आजकल ज्यादातर लोग देर रात सोते हैं और फिर उन्हें सुबह जल्दी उठना पड़ता है. वे कई बार अलार्म लगाकर सोते हैं, ताकि सुबह जल्दी उठ सकें और ऑफिस टाइम पर जा सकें।
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाइए. डॉक्टर्स का कहना है कि सुबह स्नूज़ बटन दबाने से बचने के लिए बहुत से लोग 10-15 मिनट के गैप पर अलार्म सेट कर देते हैं. ऐसा करने से सेहत बिगड़ सकती है. इससे दिनभर सुस्ती और थकान बनी रह सकती है।
सुबह बार-बार अलार्म लगाने से क्या नुकसान
बहुत से लोग सुबह 10-15 मिनट के गैप पर 3-4 अलार्म यानी मल्टीपल अलार्म लगाते हैं. अमेरिका के न्यूरोलॉजिस्ट बैंडन पीटर्स के अनुसार, कई बार अलार्म लगाकर उठना और फिर झपकी लेना उस वक्त भले ही अच्छा लग सकता है लेकिन इससे नींद का पैटर्न और क्वालिटी बिगड़ सकता है. इससे दिमाग कमजोर हो सकता है. इतना ही नहीं इससे पूरे दिन एनर्जी लो लगती रहती है।
एक से ज्यादा अलार्म क्यों खतरनाक
अधिकतर लोग नींद के आखिरी घंटों में स्लीप साइकल के आखिरी स्टेज में होते हैं, जिसे रैपिड आई मूवमेंट स्लीप भी कहते हैं. नींद में आरईएम याददाश्त और क्रिएटिविटी के लिए बेहद जरूरी होता है। लेकिन जब बार-बार अलार्म बजता है तो नींद में खलल पड़ती है और दिमाग की एक्टिविटी प्रभावित हो सकती है. इसलिए हमेशा सिर्फ एक ही अलार्म लगाना चाहिए, ताकि सुबह उठने तक नींद बिना रुकावट पूरी हो।
हो सकते हैं कई तरह के डिसऑर्डर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सुबह जागने के लिए एक ही अलार्म काफी होता है। हर किसी को अपनी सोने की आदतों को मॉनिटर करना चाहिए. हमेशा एक ही समय पर सोना और जागना चाहिए. सुबह अलार्म से बार-बार नींद प्रभावित होने पर इससे जुड़े डिसऑर्डर हो सकते हैं. जिसकी वजह से उठने के बाद स्लो रिस्पांस, अस्थायी कम याददाश्त और सोचने की क्षमता प्रभावित होती है।
इसकी वजह से पूरा दिन सुस्ती में गुजर सकता है और कई बीमारियां शरीर को घेर सकती हैं. आलस आने से किसी काम में मन नहीं लगता है और कॉन्फिडेंस भी लूज होता है. इतना ही नहीं इससे दूसरों के सामने इंप्रेशन भी बिगड़ता है।
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