देहरादून : जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावितों की मदद में देरी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक घंटा मौनव्रत रखा। उन्होंने सरकार से तत्काल विस्थापन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
गुरुवार को गांधी पार्क में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कार्यकर्त्ताओं के साथ पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि जोशीमठ जगदगुरु शंकराचार्य की तपोभूमि है। जिस तरह से जोशीमठ का बड़ा क्षेत्र भूधंसाव से प्रभावित हो रहा है।
यदि समय पर प्रभावितों का विस्थापन और समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनेगी। जोशीमठ को बचाने के लिए एक्पर्ट की टीम भेजी जानी चाहिए। जिससे वहां के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट को टाला जा सके।
सरकार किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रही है
सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रही है। कई वर्षों से जोशीमठ में भूधंसाव के संकेत मिल रहे थे। लेकिन, सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।
ऐसे में प्रभावित क्षेत्र का जनमानस खतरे से जंग से लड़ रहा है। वहां के लोग कड़ाके की ठंड में खुले में रात बिताने को मजबूर हैं। लेकिन, सरकार की ओर से उन लोग तक न तो राहत सामग्री पहुंचायी जा रही, नहीं विस्थापन की व्यवस्था की जा रही है।
जो भी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, उनकी तत्काल रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक की जानी चाहिए। कहा प्रभावितों के साथ कांग्रेस पूरी तरह से खड़ी है। किसी भी व्यक्ति का अहित नहीं होने दिया जाएगा।
इस मौके पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व विधायक मनोज रावत, पृथ्वीपाल चौहान, आचार्य नरेशानंद नौटियाल, महेंद्र नेगी, ओम प्रकाश सती, सुशील राठी, श्याम सिंह चौहान, रितेश क्षेत्री, संजय थापा, वीरेंद्र पोखरियाल, अमित रावत, मनीष नागपाल, मोहन काला, आयुष, मनमोहन शर्मा, गुल मोहम्मद, सूरज क्षेत्री , मुकेश गैरोला, वीर सिंह, पीयूष जोशी, शकील मंसूरी आदि मौजूद रहे।
भूंधसाव से चिंतित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीएम को भेजा पत्र
जोशीमठ में आई आपदा से ज्योर्तिमठ प्रबंधन भी चिंतित है। ज्योर्तिमठ में नगर में प्रभावितों सहित आमजन को भोजन वितरण कर मुख्यमंत्री से तत्काल प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है। धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक नगरी जोशीमठ में भूधंसाव व आवासीय भवनों के क्षतिग्रस्त होने पर ज्योर्तिमठ के संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि जोशीमठ आदि गुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित चार मठों में से प्रमुख मठ है। यह धार्मिक स्थल आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दीस्थल होने के साथ ही देश के चार धामों में प्रमुख बदरीनाथ धाम का मुख्य आधार स्थल पर भी है। इसी स्थान पर शंकराचार्य की ओर से स्थापित पौराणिक नृसिंह मंदिर है, जो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में निरंतर भूधंसाव के चलते ज्योर्तिमठ को भी नुकसान पहुंचा है। नगर में आवासीय भवनों को भी क्षति पहुंची है तथा जनजीवन पूरी तरह से अस्तव्यस्त है। यह क्षेत्र भूंकप की दृष्टि से जोन-पांच में आता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस धार्मिक नगरी को बचाने के लिए सरकार को अविलंब कदम उठाते हुए प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना चाहिए।
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