उत्तराखंड की लॉजिस्टिक नीति में बुनियादी सुविधाएं स्थापित करने के लिए जमीन के मानक हिमालयी राज्यों के समान होंगे। अभी तक पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जमीन के मानक कम करने के पेच से नीति लटकी हुई है। हिमाचल समेत अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद उत्तराखंड की नीति में जमीन के मानक चार हजार वर्ग फीट करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सरकार नीति को मंजूरी दे सकती है।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार लॉजिस्टिक नीति बनाई गई। वित्त और न्याय विभाग की अनुमति के बाद अक्तूबर में नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया। इस पर चर्चा के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जमीन के मानक कम करने की बात सामने आई थी। नीति में वेयर हाउस, लॉजिस्टिक हब, पार्किंग, टर्मिनल बनाने के लिए पांच हजार वर्ग फीट जमीन की अनिवार्यता रखी गई थी। कैबिनेट में अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन कर मुख्यमंत्री को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया था।
हिमाचल प्रदेश समेत अन्य हिमालयी राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद अब नीति में लॉजिस्टिक अवस्थापना विकास के लिए कम से कम चार हजार वर्ग फीट जमीन के मानक तय किए जा रहे हैं। जल्द ही सरकार नीति को मंजूरी दे सकती है।
हिमाचल समेत अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद नीति का प्रस्ताव दोबारा से वित्त व न्याय विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया है। उत्तराखंड और दूसरे राज्यों की लॉजिस्टिक नीति में जमीन के मानकों में बड़ा अंतर नहीं है। सरकार की मंजूरी के बाद जल्द ही नीति को लागू किया जाएगा।
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