नई दिल्ली, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और झटका दिया है। ताजा मामले में एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) से 97 करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया है।
एलजी वीके सक्सेना का यह आदेश 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2016 के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश और 2016 के सीसीआरजीए के आदेश के मद्देनजर आया है, जिसका दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है। भाजपा ने कहा कि आप ने जनता के पैसे राजनीतिक विज्ञापनों पर खर्च कर दिए। जबकि ये पैसे राजधानी के विकास में खर्च होने चाहिए थे।
बता दें कि वर्ष 2015 में अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने अपनी सरकार के कामों का प्रचार करना शुरू किया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2015 में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से दिए जाने वाले विज्ञापन के संबंध में एक आदेश जारी किया था। इसके आधार पर वर्ष 2016 में 3 सदस्यीय कंटेंट रेगुलेशन कमेटी बनाई गई।
अगस्त 2016 में दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के अधिकार मामले को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार हाई कोर्ट में केस हार गई। इसके बाद दिल्ली सरकार के सभी फैसलों की जांच शुरू हो गई। साथ ही आम आदमी पार्टी सरकार में जो विज्ञापन दिए गए उनकी जांच कमेटी से करने के लिए कहा गया। इस कमेटी ने ही दिल्ली सरकार पर 97 करोड़ रुपये के विज्ञापन नियमों के अनुरूप न होने का आरोप लगाया था। उस दौरान नजीब जंग दिल्ली के उपराज्यपाल थे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 22 जुलाई को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को लेकर इसकी सीबीआई जांच कराए जाने की सिफारिश की थी।
एलजी ने यह सिफारिश मुख्य सचिव की ओर से राजनिवास को 8 जुलाई को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर की थी। इस रिपोर्ट में सभी खामियों के बारे में बताया गया है। इस मामले में जांच एजेंसी ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपित बनाया है।
More Stories
आम आदमी पार्टी ने किया बड़ा ऐलान, ऑटो वालों को दी पांच बड़ी गारंटी
पहली बार नोएडा एयरपोर्ट में विमान ने सफल लैंडिंग कर रचा इतिहास
कांग्रेस का आरोप, उत्तराखंड को भाजपा सरकार ने बना दिया मदिरा प्रदेश