निकाय चुनाव टले, उत्तराखण्ड के समस्त नगर निकाय 2 दिसंबर से प्रशासकों के सुपुर्द
हार के डर से भाजपा ने निकाय चुनाव टाले-यशपाल आर्य, नेता विपक्ष
देहरादून। उत्तराखण्ड में लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव की रणभेरी बजेगी। तय समय पर निकाय चुनाव नहीं कराने पर उत्तराखण्ड के समस्त निकाय 2 दिसंबर से प्रशासकों के हवाले हो जाएंगे। शासन ने प्रशासकों की नियुक्ति सम्बंधित आदेश भी जारी कर दिया। उल्लेखनीय है कि 97 स्थानीय निकायों में चुनाव नवंबर 2023 में प्रस्तावित थे। लेकिन पिछड़ा वर्ग का आरक्षण का कार्य पूरा नहीं होने से निकाय चुनाव टालने पड़े। कांग्रेस ने निकाय चुनाव टलने पर भाजपा सरकार पर कड़े प्रहार किए। उत्तराखण्ड के 97 नगर निकायों का पांच वर्षीय कार्यकाल आज 1 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। प्रदेश में 97 नगर निकायों के चुनाव 2018 में हुए थे। प्रदेश में 8 नगर निगम हैं।
नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम के तहत कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा बाद में निकायों के चुनाव कराए जाने चाहिए। इधर, सरकार ने उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 (उत्तराखण्ड राज्य में यथा-प्रवृत्त एवं यथा-संशोधित) की धारा 8 की उपधारा (4) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 2 दिसंबर से अग्रिम आदेशों तक प्रदेश के समस्त निकाय में जिलाधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया है। गौरतलब है कि सिर्फ दो निकायों नगर निगम रुड़की व नगर पालिका परिषद बाजपुर का कार्यकाल अगले साल खत्म होना है। यहां चुनाव 2019 में हुए थे। इसके अलावा बद्रीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री नगर पंचायतों में चुनाव नहीं होते।
कांग्रेस ने विरोध किया
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार ने हार के डर से निकाय चुनाव टाले हैं। और निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब निकायों में होने वाले विकास कार्यों में मनमानी बढ़ जाएगी। आर्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पांचों सीट जीतेगी। और फिर निकाय चुनाव भी जीतेगी।
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