देहरादून: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी चाहते हैं कि उत्तराखंड हिमालय जैसा स्वच्छ और गंगा जैसा पावन राज्य बने। वे उत्तराखंड को हर दृष्टि से आत्मनिर्भर देखना चाहते हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल के दायित्व से मुक्त होने के बाद उत्तराखंड पहुंचे कोश्यारी शुक्रवार को प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में मीडिया से रूबरू हुए।
उन्होंने दोहराया कि अब वह सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे, लेकिन राज्य की बेहतरी के लिए कार्य करने वालों का साथ देंगे। कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान वहां की जनता का अपार स्नेह उन्हें मिला। साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज और सावित्री बाई फुले के बारे में कोई टिप्पणी नहीं।
उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक बार फिर संत बताया। कोश्यारी ने उत्तराचंल प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में अपने अब तक के सफर पर चर्चा की। साथ ही पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब भी अपने अंदाज में दिए। उन्होंने कहा कि भाजपा में आना उनके लिए संयोग था। तब भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें कहा कि वे पार्टी में आएंगे तो उत्तराखंड आंदोलन को सही दिशा मिलेगी।
राजनीति और भाजपा में आने का सुखद अनुभव यह रहा कि उत्तराखंड राज्य की मांग पूरी हुई। बहुत इच्छा न होते हुए भी राज्य गठन के बाद मंत्री बने और दो-चार दिन के लिए मुख्यमंत्री भी। …पद ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा कोश्यारी ने कहा कि पद का लोभ न होते हुए पद ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। वे राज्यसभा और फिर लोकसभा गए।
वर्ष 2016 में उन्होंने घोषणा की कि वे वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बाद में मीडिया में उनका नाम ऐसे उछला कि उन्हें राज्यपाल बनना है। जनता की इच्छा व प्रेम को देखते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल पद दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।
थक गया हूं…पद से मुक्ति दीजिए
कोश्यारी ने कहा, महाराष्ट्र का राज्यपाल रहते हुए जनता से भरपूर प्यार मिला। मैं भी कोरोनाकाल में पैदल घूम-घूमकर जनता के बीच गया। कुछ समय पहले मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि घूमते-घूमते थक गया हूं। यदि 24 घंटे में 16 घंटे भी कार्य न कर सकूं तो ठीक नहीं है। ऐसे में मुझे पद से मुक्ति दे दीजिए। प्रधानमंत्री ने मेरे आग्रह को स्वीकारा और अब आपके बीच में हूं।
उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि उत्तराखंड कृषि, डेरी, पशुपालन समेत सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बने। यहां खुशहाली हो और समृद्धि आए। इस दिशा में कार्य करने की उनकी इच्छा है। हम सब मिलकर उत्तराखंड को आदर्श राज्य बनाएंगे। जीवन का जो भी समय बचा है, इसके लिए कैसे समन्वय करके आगे बढ़ा जाए, इस पर कार्य करेंगे।
अब सक्रिय राजनीति से दूर
एक प्रश्न पर कोश्यारी ने कहा कि अब वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हैं। भाजपा ने जितना सम्मान व अवसर उन्हें दिए, उनके बारे में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। बोले, जब आप किसी पार्टी नहीं होते तो किसी न किसी विचारधारा से जुड़े रहते हैं। राष्ट्र निर्माण में भाजपा का सहयोग करता रहूंगा, इसके लिए सदस्य बनना जरूरी नहीं है।
यहां कोई किसी का शिष्य नहीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उनका शिष्य होने से संबंधित प्रश्न पर कोश्यारी ने कहा कि यहां कोई किसी का शिष्य नहीं है। धामी अच्छा कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह बात कही है। मुझे भी लगता है कि वह पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं।
…ऐसा आफर आएगा ही नहीं
यदि अवसर मिलता है तो क्या किसी अन्य दल के सहयोग से मुख्यमंत्री बनेंगे, इस प्रश्न पर कोश्यारी बोले, आप समझदार लोग हैं। मुख्यमंत्री का आफर आएगा ही नहीं। विस्फोट की कोई संभावना नहीं कोश्यारी ने कहा कि उनका कार्य समाधान और सृजन का है, विस्फोट का नहीं। यह उनका स्वभाव नहीं है। ऐसे में किसी विस्फोट की संभावना नहीं है।
मैं हर रास्ते पर चलने का अभ्यस्त
महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान विवाद के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सीधे रास्ते के साथ ही टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चलने का अभ्यस्त भी होना चाहिए। वह हर रास्ते पर चलने के अभ्यस्त हैं। दुराचार, व्यभिचार जैसे रास्ते पर वह नहीं चलते। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रहकर ऐसा लगता ही नहीं था कि वह उत्तराखंड से बाहर हैं।
कभी नहीं की कोई टिप्पणी
कोश्यारी ने कहा कि उनसे अगर कहीं गलती होगी तो वह छोटे बच्चे से भी माफी मांगते हैं। महाराष्ट्र में एक बयान पर आपत्ति आई तो तुरंत क्षमा मांगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा छत्रपति शिवाजी और सावित्री बाई फुले के बारे में कभी कोई टिप्पणी नहीं की गई।
ठाकरे को बताया संत
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को संत बताने संबंधी बयान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह ठाकरे को संत ही मानते हैं। यदि वे सीधे-सज्जन नहीं होते तो क्या सरकार टूट जाती। कभी-कभी लोग संत का अर्थ उल्टा लगा लेते हैं। एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण आधी रात को नहीं, सुबह आठ बजे हुआ था।
पद व पैसा मेरे लिए अहम नहीं
कोश्यारी ने कहा कि उनके दो साल पहले राज्यपाल का पद छोड़ देने का संदेश यही है कि उनके लिए पद व पैसा अहम नहीं है। उन्होंने कहा कि अब राज्य की बेहतरी के लिए जो भी काम करेगा, उसमें वह सहयोग देंगे। उत्तराखंड किसी एक पार्टी, व्यक्ति व परिवार का नहीं है, इसे समृद्ध बनाने को सब मिलकर काम करेंगे। एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई भूचाल आते रहते हैं। राजनीति में किसी भूचाल की संभावना नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह शक्ति केंद्र बनेंगे, इस पर कोश्यारी ने कहा कि वह महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद छोड़कर आए हैं। यहां क्यों पावर सेंटर बनेंगे। एक घंटे का मौन नहीं रखूंगा पूछे जाने पर कोश्यारी ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत को लेकर चुटकी भी ली। बोले, हरदा राज्यहित में जो भी अच्छा कार्य करेंगे, इसमें उनका साथ देंगे, लेकिन एक घंटे का मौन नहीं रखूंगा। एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राज्य में ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री होना मायने नहीं रखता। विषय राज्य के चहुंमुखी विकास का है।
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