चंडीगढ़। मुफ्त बिजली की राजनीति धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है। पंजाब सरकार ने फैसला कर लिया है कि राज्य के 52 लाख उपभोक्ता, जिनका बिजली का कनेक्शन 2 किलोवाट तक है, के 300 यूनिट तक का बिजली का बिल माफ किया जा सकता है। आज हो रही कैबिनेट बैठक में यह फैसला हो सकता है। वर्ष 2022 के विधान सभा चुनावों को देखते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के उस फैसले को पलटने जा रहे है, जिसमें कैप्टन ने कहा था कि पंजाब में बिजली सबसे सस्ती है और फ्री बिजली देने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। राज्य के लोगों को सस्ती बिजली देने के मद्देनजर चन्नी सरकार मन बना चुकी है।
फ्री बिजली पर राजनीति तब से ही शुरू हो गई थी जब आम आदमी पार्टी के कन्वीनर व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में 300 यूनिट तक बिजली बिल फ्री करने की घोषणा की थी। फिर, शिरोमणि अकाली दल ने 400 यूनिट तक फ्री बिजली देने का चुनावी वायदा कर दिया। इसके बाद से ही कांग्रेस में फ्री बिजली को लेकर हलचल थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने 300 यूनिट फ्री बिजली देने से इसलिए इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पंजाब में एससी, बीसी, स्वतंत्रता सेनानी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आदि को पहले ही 200 यूनिट फ्री बिजली मिल रही है। अगर राज्य के सभी लोगों को फ्री बिजली की जाए तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।
चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही बिजली को सस्ता करने व निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौतों को रद करने का दबाव सरकार पर था। मुख्यमंत्री ने अभी तक निजी थर्मल प्लांटों के साथ समझौतों को रद करने के लिए तो कोई कदम नहीं उठाया है। जानकारी के अनुसार सरकार बिजली फ्री करने के मुद्दे पर फैसला ले चुकी है। सरकार के इस फैसले से राज्य सरकार पर 1400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा।
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