लखनऊ, वर्षा के मौसम में कोयले की कमी से बिजली आपूर्ति न प्रभावित हो इसके लिए राज्य सरकार विदेशी कोयला खरीद सकती है। कोल इंडिया के माध्यम से अगस्त-सितंबर में ही विदेशी कोयला खरीदने के लिए लगभग 650 करोड़ रुपये चाहिए होंगे।
दरअसल, राज्य के तापीय बिजली उत्पादन गृहों के लिए आवंटित 15 से 17 रैक कोयले में से कोल इंडिया इनदिनों लगभग 11-12 रैक ही कोयला उपलब्ध करा रही है। ऐसे में अगस्त-सितंबर में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की कमी न होने पाए, इसके लिए अब राज्य सरकार विदेशी कोयला खरीदने पर विचार कर रही है।
वैसे तो राज्य में जरूरत का 10 प्रतिशत विदेशी कोयला लेने पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त चाहिए। इससे प्रति यूनिट एक रुपये बिजली महंगी होने के अनुमान के मद्देनजर योगी सरकार ने पूर्व में विदेशी कोयला न लेने का निर्णय किया था। अब कोल इंडिया से घरेलू कोयले के साथ चार प्रतिशत तक विदेशी कोयला लेने के लिए 500-650 करोड़ रुपये ही चाहिए होंगे।
जानकारों के मुताबिक विदेशी कोयले के एवज में अतिरिक्त व्ययभार राज्य सरकार खुद उठा सकती है ताकि उपभोक्ताओं की सीधे तौर पर बिजली महंगी न होने पाए। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि कोयले के आवंटन संबंधी अनुबंध के मुताबिक कोल इंडिया को चाहिए की राज्य को पूरा कोयला दे।
आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए भले ही विदेशी कोयला खरीदा जाए लेकिन उनकी सरकार से मांग है कि उसका वित्तीय भार उपभोक्ताओं पर कतई न डाला जाए। विदेशी कोयले के एवज में अतिरिक्त खर्चे को या तो राज्य सरकार खुद उठाए या फिर केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुदान की मांग की जाए।
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