December 28, 2024

हिम सन्देश

न्यूज़ पोर्टल

पेट्रोल-डीजल पर वैट के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह ने विरोधी दलों पर साधा निशाना

पेट्रोल-डीजल पर वैट के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह ने विरोधी दलों पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने को लेकर अपील की गई थी। पीएम की अपील के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया। वहीं, अब केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार किया है।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरों को लेकर राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने भाजपा शासित और गैर भाजपा शासित राज्यों की तुलना करते हुए आंकड़े भी पेश किए हैं। पुरी ने गुरुवार सुबह कई ट्वीट कर विपक्ष को तगड़ा जवाब दिया। पुरी ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार ने ईंधन कर के रूप में 2018 से 79,412 करोड़ रुपये कमाए हैं। इस वर्ष 33,000 करोड़ कमाने की उम्मीद है। यानि कुल मिलाकर 1,12,757 करोड़ रुपये। लोगों को राहत देने के लिए उसने पेट्रोल और डीजल पर वैट क्यों नहीं घटाया?’

‘लोगों को मिलेगा सस्ता ईंधन’

केंद्रीय मंत्री ने अपने अगले ट्वीट में कहा कि यदि विपक्षी सरकारें आयातित शराब की बजाए ईंधन पर टैक्स कम करें तो लोगों को सस्ता तेल मिलेगा। पुरी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार पेट्रोल पर 32.15 रुपये प्रति लीटर जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान ने 29.10 रुपये प्रति लीटर टैक्स लगाया। वहीं, भाजपा शासित उत्तराखंड 14.51 रुपये प्रति लीटर और उत्तर प्रदेश 16.50 रुपये प्रति लीटर टैक्स लेता है। विरोध प्रदर्शन करने से तथ्य नहीं बदल जाएंग

भाजपा सरकारों की तुलना

केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल पर 14.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 17.50 रुपये प्रति लीटर तक वैट लिया जाता है। जबकि अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों में यह 26 रुपये से लेकर 32 रुपये प्रति लीटर तक लिया जाता है। विपक्षी दलों का इरादा केवल विरोध और आलोचना करना है, लोगों को राहत नहीं देना है।

उन्होंने आगे बताया कि हरियाणा में सबसे कम वैट वसूला जाता है। पेट्रोल पर 18 फीसद वैट और डीजल पर 16 फीसद वैट लिया जाता है। पुरी ने तंज कसते हुए कहा कि हरियाणा का एक महत्वाकांक्षी नेता इसका विरोध करता है, लेकिन अपनी ही पार्टी द्वारा शासित राजस्थान पर चुप है, जहां देश में सबसे अधिक 31.08 फीसद सेस वसूला जाता है।