हिम सन्देश, 9 जून 2022, गुरुवार, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि 7.5 फीसदी रफ्तार से होगी। विश्व बैंक ने देश के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को संशोधित किया है। वैश्विक निकाय की ओर से पूर्वानुमान में लगातार दूसरी बार कटौती की गई है। इस संबंध में रिपोर्ट जारी करते हुए इसकी वजह लगातार बढ़ती महंगाई, सप्लाई चेल में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध को बताया गया है।
गौरतलब है कि विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को अप्रैल महीने में 8.7 फीसदी घटाकर 8 फीसदी किया था। वहीं अब इसे एक बार फिर से कम करके 7.5 फीसदी कर दिया गया है। बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.7 फीसदी रही थी। विश्वबैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में कहा है कि लगातार बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव जैसी चुनौतियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है। इसमें कहा गया कि कोरोना के मामले कम होने के बाद अर्थव्यवस्था में जो सुधार देखा जा रहा है, बताए गए कारणों का उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
यहां बता दें कि देश में महंगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है और यही कारण है महज 35 दिनों के अंतराल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में दो बार इजाफा किया है। जहां बीते चार मई को आरबीआई ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी, तो वहीं बुधवार को तीन दिवसीय बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में और 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी। आरबीआई ने भी देश में बढ़ती महंगाई को चिंता का विषय करार दिया है। देश में खुदरा महंगाई 7.79 फीसदी, जबकि थोक महंगाई 15 फीसदी के पार पहुंच चुकी है।
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