मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू की अध्यक्षता में आज सचिवालय में खरीफ सीजन में धान की खरीद के संबंध में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक हुई। मुख्य सचिव ने खाद्य विभाग, सहकारिता व संबन्धित पक्षों से धान की खरीद में आने वाली समस्याओं, बाधाओं व व्यवहारिक कठिनाईयों को सुना। सभी पक्षों को सुनने के बाद उन्होंने धान की खरीद के निर्देश दिए।
uttarakhand meemansa। उत्तराखंड सरकार हरिद्वार व उधमसिंहनगर जिलों में जल्द ही धान की खरीद करेगी। मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने इसके निर्देश दिए है। संधू ने कहा है कि धान की खरीद में किसानों के साथ धोखाधड़ी व बेईमानी कतई बर्दास्त नहीं की जाएगी। इसके लिए अधिकारियों व क्रय केंद्र प्रबन्धकों के सख्त निर्देश दिये गए है। किसान के साथ धोखाधड़ी हुई तो सख्त कार्रवाई होगी।
बैठक में सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, मीनाक्षी सुन्दरम्, एचएस बोनाल, अपर सचिव प्रताप शाह, आरएफसी (संभागीय खाद्य नियंत्रक) गढ़वाल बीएस. राणा, वित्त नियंत्रक डॉ एमएस बिसेन सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारी तथा सम्बन्धित पक्षों के सदस्य उपस्थित थे। ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार के जिलाधिकारी वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े थे।
जीरो बैलेंस पर खुलवायें किसानों का खाता
मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि जिन स्थानों पर और धान क्रय केन्द्र खोलने की डिमाण्ड है, वहां शीद्य्र से खोले जाए। जहां पर बोरे व धान क्रय से सम्बन्धित सामग्री की जरूरत हो उनको तत्काल पूरा करें। विभागीय अधिकारियों ने जब मुख्य सचिव को अवगत कराया कि किसानों के प्रत्येक वर्ष क्रय प्रक्रिया हेतु खाते खोले और क्रय प्रक्रिया पूरी होने के तत्काल बाद बन्द हो जाते है, इस पर मुख्य सचिव ने निर्देश किया कि जिन किसानों से खरीददारी की जाती हैं उन सभी का एक ही बार जीरो बैलेंस पर खाता खुलवायें तथा उसको बार-बार बंद न करें बल्कि, चलता रहने दें। क्योंकि, इससे अनावश्यक प्रक्रिया में देरी हो जाती है। साथ ही किसान खाता खोलने, बंद करवाने में अनावश्यक परेशान होते हैं।
उन्होंने सभी क्रय केन्द्रों पर 50 से 100 मॉस्चर (नमी) मीटर रिजर्व के रूप में रखने के निर्देश दिये। कहा कि जब तक क्रय केन्द्रों पर किसानों का धान आ रहा है, तब तक उसको खरीदते रहें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभागीय स्तर पर कार्यों में जो औपचारिकता और कार्य पहले किये जा सकते हैं उनको पहले कर लें, बिना किसी कारण के हर एक कार्य को अन्तिम मूवमेंट के लिए पेंडिंग न रखें, इसको गंभीरता से लिया जाएगा।
काम समय से पूरा करने के लिए बनाएं वार्षिक केलेण्डर
मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि सारी प्रक्रिया समय से पूरी हो, इसके लिए वार्षिक केलेण्डर बना लें और उसका अनुपालन करें। उन्होंने भुगतान की पहले की पेंडेंसी को तत्काल निपटाने तथा आगे से भुगतान से संबंधित प्रक्रिया को सरलीकृत करने तथा पोर्टल से सम्बन्धित जो भी तकनीकी समस्या है उसको भी तत्काल ठीक करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिये कि प्रत्येक क्रय केन्द्रों और मण्डी के मुख्य द्वार पर अनिवार्य रूप से विजिबल आकर्षक साइन बोर्ड लगा होना चाहिए, जिस पर स्पष्ट शब्दों में लिखा हो कि किसानों को यदि धान क्रय से संबंधी किसी भी तरह की शिकायत हो तो वे इन नम्बरों पर शिकायत कर सकते हैं। जिलाधिकारी ये सुनिश्चित करेंगे कि शिकायत करने वाल नम्बर न केवल सक्रिय हो बल्कि शिकायतकर्ता की समस्या का तत्काल उचित निराकरण भी हो। जिलाधिकारी उस पर खुद कॉल करते रहें। यदि कोई किसान जिलाधिकारी व संबंधित उप जिलाधिकारी के पास धान क्रय की उचित निस्तारण के संबंध में कोई शिकायत करता है तो उस पर अनिवार्य रूप से त्वरित व उचित कार्यवाही करनी ही होगी। इसके अतिरिक्त जहां तक संभव हो मण्डी व क्रय केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने तथा उसकी नियमित मॉनिटरिंग करने को भी कहा।
खरीद में उत्तराखण्ड के किसानों को मिले वरीयता
मुख्य सचिव ने जनपद ऊधमसिंहनगर के लिये धान क्रय के संबंध में निर्देश दिये कि ऊधमसिंहनगर में 1 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक केवल उत्तराखण्ड के ही किसानों के धान की खरीद की जाएगी। सम्बन्धित जिलाधिकारी अपने स्तर से इस तिथि को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य जनपदों के जिलाधिकारी अपने स्तर से अपने विवेक से ये सुनिश्चित करने को स्वतंत्र होंगे कि केवल उत्तराखण्ड के ही किसानों से कब तक खरीद करनी है, किस तिथि के बाद उत्तराखण्ड व अन्य राज्यों के किसानों दोनों से खरीद की जा सकती है। ये आवश्यक ध्यान रखा जाए कि उत्तराखण्ड के किसानों को खरीद में वरियता मिले। उन्होंने संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि वे समय-समय पर विभिन्न क्रय केन्दों का औचक निरीक्षण करके स्वयं व्यवस्थाएं देखें तथा अधीनस्थ अपर जिलाधिकारियों- उपजिलाधिकारियों से एन्फोर्समेंट की कार्यवाही संपादित करवाते हुए सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी तरह से किसानों के उपज को मॉस्चर (नमी) व खराब बताकर, घटतौली या बिचौलियों की भूमिका से या अन्य किसी भी तरह से किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जिलाधिकारी अपने स्तर पर विक्रय हेतु टोकन व पर्ची सिस्टम जो उचित लगता हो, प्रकिया अपना सकते हैं।
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