-अफगानिस्तान मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रूस के राष्ट्रपति के बीच 24 अगस्त को फोन पर वार्ता हुई थी। इसके बाद रूस के एनएसए भारत पहुंचे हैं।
अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान को घेरने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से रूसी समकक्ष निकाले पेत्रुशेव की दिल्ली में मुलाकात शुरू हो गई है। रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव मंगलवार रात ही भारत पहुंचे हैं। वह अजीत डोभाल से मिलने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं।
मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 24 अगस्त को फोन पर हुई वार्ता के बाद अफगानिस्तान के मुद्दे पर द्विपक्षीय चैनल बनाने पर सहमति बन चुकी है। इस मुलाकात से पहले अप्रैल में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दिल्ली पहुंचे थे। लेकिन, इस दौरान उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं हुई।
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होने से दोनों देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। क्योंकि, तालिबान का शासन मध्य एशिया को अस्थिर करेगा बल्कि, भारत को यह चिंता है कि अफगानिस्तान आतंक, तस्करी, नशीले पदार्थों व हथियारों का अड्डा बन जाएगा। इससे पहले भारत ने ब्रिटेन के एमआई-6 चीफ रिचर्ड मूर व सीआईए चीफ विलिमय बर्न्स के सामने भी अफगानिस्तान के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अब भारत रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव को यह बात समझाने का प्रयास करेगा।
तालिबान ने अंतरिम सरकार का गठन करके मंत्रिमंडल को विस्तार दे दिया है। इस मंत्रिमंडल ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, अमेरिका की ओर से घोषित आंतकी सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान कैबिनेट में आंतरिक मंत्रालय व खुफिया प्रभारी है। वहीं, मुल्ला ओमर का बेटा मुल्ला याकूब रक्षा मंत्री बना है। मंत्रिमंडल में किसी महिला व अल्पसंख्यक को जगह नहीं मिली है। मीडिया का कहना है कि दुनिया के सबसे अच्छे आईईडी बम निर्माता हक्कानी, याकूब और बरादर अब तालिबान की कैबिनेट का हिस्सा हैं।
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