भगवद चिन्तन… राधा तत्व
संतों ने गाया है कि- तत्वन के तत्व जग जीवन श्रीकृष्ण चन्द्र, कृष्ण हू को तत्व वृषभानु की किशोरी है। इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ कि राधा तत्व से ही श्री कृष्ण परिपूर्ण हुए हैं। एक मात्र राधा तत्व ही है जो उस पूर्ण पुरुषोत्तम को भी पूर्ण बनाता है। राधा तत्व न होता तो वो कृष्ण रसिकों में सबसे खास न होता, राधा तत्व न होता तो कृष्ण का हास-विलास न होता और उससे भी बड़ी बात अगर राधा तत्व न होता तो कभी भी उन कृष्ण का महारास न होता।
रस स्वरूपिणी राधा रानी से ही तो रास का जन्म हुआ है। राधा तत्व है तो बृज के कण-कण में रस है। राधा तत्व है तो बृज की लता-पता में रस है और राधा तत्व है तो बृज की रज-रेणु में भी रस है। जिन राधा के पद चापन के प्रभाव से वो श्रीकृष्ण भी बृज की ठकुराई पा गये, जिन राधा के पद रेणु के श्रृंगार से उद्धव जैसे ज्ञानी भी अपने आप को धन्य अनुभव करने लगे और समस्त सिद्धियाँ भी जिन राधा रानी के चरणों की दासी बन गयी ऐसी बृज ठकुरानी राधा रानी के तत्व विवेचन की सामर्थ्य यह साधारण जीव कैसे प्राप्त कर सकता है..?
जय नित्य विहारिणी श्रीराधा, बृजसुख विस्तारिणी श्रीराधा। रसिकन की स्वामिनि श्रीराधा, करुणानिधि नामिनि श्रीराधा॥
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