धर्मेंद्र उनियाल ‘धर्मी’
चीफ फार्मासिस्ट, अल्मोड़ा
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लड़की के जीवन में, अहमियत दुपट्टे की,
मां ने समझाई थी, उसे क़ीमत दुपट्टे की।
पिताजी की दस्तार हो या, दुपट्टा बहन का,
मां बारीकी से करती थी, मरम्मत दुपट्टे की।
मेले में इक अजनबी की, घड़ी से क्या उलझा,
कहानी में बदल गई वो, मुहब्बत दुपट्टे की।
खुदकुशी का इल्ज़ाम भी, आया दुपट्टे पर,
दहेज़ ने बदल कर रख दी, क़िस्मत दुपट्टे की।
उसका दुपट्टा बचा गया, दो घरों की आबरू,
बदल गया कफ़न में ,ये है हिम्मत दुपट्टे की।
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