भगवद चिन्तन… श्रावण मास शिव तत्व
पूरे श्रावण मास में शिव तत्व के ऊपर चिंतन प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य केवल और केवल उन भगवान भोलेनाथ के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को और आनंदमय, भक्तिमय और कल्याणमय बनाना था। जाते-जाते इस पावन श्रावण मास में आज भगवान शिव के कुछ प्रमुख नाम और उनके संदेश को भी जान लेते हैं।
शिव – अर्थात् कल्याण स्वरूप।
हमारा जीवन स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए सदा कल्याण स्वरूप बने ऐसा निरत प्रयास करना चाहिए।
भोलेनाथ – सरल और सहज।
जीवन सदा सरल और सहज होना चाहिए, जिसके जीवन में सरलता और सहजता है वह जीव सबका प्रिय बन जाता है।
आशुतोष – अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाले।
मनुष्य को चाहिए कि जो मिले जब मिले और जितना मिले उसी में प्रसन्न रहना चाहिए। संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं।
हर – पापों को हरने वाला।
कर्म ऐसे करो कि स्वयं तो पाप से बचो ही मगर दूसरों को भी पाप से बचा सको अथवा दूसरों के पापों का हरण कर सको।
महाकाल – काल को भी वश में करने वाले। समय के गुलाम मत बनो अपितु अपने काम के प्रति इतने प्रतिबद्ध बनो कि समय आपका गुलाम बन जाए।
महादेव – देवों के भी देव।
हमेशा प्रतिक्षण कुछ नया करने का कुछ बड़ा करने का और कुछ श्रेष्ठ करने का जज्बा अपने आप में उत्पन्न करना चाहिए ।
नीलकंठ – नीले कंठ वाले।
दुनियाँ की बातों को सुनों। जो काम का है उसे जीवन में उतारो और जो काम का नहीं है उसे जीवन से उतारो। सबकी सुनों मगर जो काम का हो केवल उसे चुनों।
पशुपति – पशुओं के भी पति।
सदैव उपेक्षितों, तिरस्कृतों और त्यक्ताओं के सहायक और रक्षक बनो।
मृत्युंजय – मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करने वाले। हमारे कर्म इतने श्रेष्ठ और दिव्य होने चाहिए कि मृत्यु हमें नहीं अपितु कीर्तिवान बनकर हम ही मृत्यु को परास्त कर दें।
महेश्वर – समस्त चराचर जगत के स्वामी।
प्राणी मात्र से प्रेम करते हुए परोपकार और परमार्थ में निरंतर रत रहने हुए सबके प्रिय बन जाना। स्नेहवश सबके हृदय में अपना स्वामित्व स्थापित कर देना।
वृषभ वाहन – बैल की सवारी करने वाले।
हम सदा शुभ करें, श्रेष्ठ करें और सदैव इस बात का ध्यान रहे कि हमारा प्रत्येक आचरण धर्ममय हो।
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