देहरादून : उत्तराखंड के ग्रामीण और दूरस्थ पर्वतीय सीमांत क्षेत्रों के निवासियों को काम-धंधे और कारोबार के लिए धन संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। उन्हें बैंकों से ऋण मिल सकेगा। पलायन पर रोक लगाने की यह पहल स्वामित्व योजना के बूते सफल होने जा रही है। सभी 13 जिलों के 7581 आबाद गांवों के भीतर आवासीय परिसंपत्तियों के ड्रोन सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है।
बड़ी बात ये है कि निर्धारित समय से पहले ही स्वामित्व योजना पूरा करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किया गया वायदा उत्तराखंड चालू महीने में पूरा करने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जिन दो राज्यों के इस योजना को पूरा करने का एलान करेंगे, उसमें हरियाणा के साथ उत्तराखंड का नाम सम्मिलित होगा।
स्वामित्व योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। देश में ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों को लेकर विवाद, संपत्ति हस्तांतरण में बाधा और गांववासियों को ऋण सुविधा का लाभ नहीं मिलने के समाधान के रूप में इस योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ग्रामीणों को अब छोटे-मोटे व्यवसाय और आजीविका के लिए शहरों का रुख करने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। मुद्रा जैसी ऋण योजनाओं का लाभ उन्हें आसानी से मिल सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराखंड के प्रति प्रेम का ही परिणाम रहा कि स्वामित्व योजना की शुरुआत में ही प्रदेश को इसमें जगह मिली।
ग्रामीणों को संपत्ति कार्ड पर ऋण सुविधा
उत्तराखंड ने भी प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे पर खरा उतरकर स्वयं को साबित किया है। प्रदेश निर्धारित समय वर्ष 2023 से पहले ही इस योजना के लक्ष्य को पाने जा रहे हैं। प्रदेश में नापभूमि से इतर ऐसे 7581 आबाद गांवों के भीतर आवासीय व अन्य परिसंपत्तियों के ड्रोन से सर्वे का काम पूरा किया गया है। अब राजस्व अभिलेखों में इन परिसंपत्तियों को दर्ज किया जा रहा है।
दरअसल, शहरी निकाय क्षेत्रों में आवासीय व अन्य परिसंपत्तियों का ब्योरा दर्ज रहता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं था। गांवों में मात्र कृषि भूमि का ब्योरा ही राजस्व अभिलेखों में दर्ज रहता था। कृषि भूमि पर ऋण देने से बैंक गुरेज करते हैं। अब गांवों में परिसंपत्तियों का ब्योरा दर्ज होने से उन्हें ऋण मिल सकेगा। स्वामित्व योजना के अंतर्गत उन्हें संपत्ति कार्ड दिए जा रहे हैं।
डिजिटाइज किया जा रहा है संपत्ति का ब्योरा
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में काम-धंधे और आजीविका के कारण पलायन की गंभीर समस्या है। अब पर्वतीय गांंवों के निवासियों को उनकी परिसंपत्ति पर ऋण मिल सकेगा। इससे खेती के विकास से लेकर व्यवसाय शुरू करने में उन्हें ऋण सहायता उपलब्ध हो सकेगी। राजस्व सचिव चंद्रेश यादव ने बताया कि डेढ़ लाख से अधिक ग्रामीणों को संपत्ति कार्ड दिए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि चिह्नित सभी गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है। अब डिजिटाइज तरीके से परिसंपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने का काम हो रहा है। इसे 15 जुलाई तक पूरा किया जाएगा। यदि कुछ काम शेष रहता है तो इसे आगामी दिनों में निपटाया जा सकता है। प्रधानमंत्री 15 अगस्त को उत्तराखंड में शत-प्रतिशत स्वामित्व योजना क्रियान्वित करने के बारे में घोषणा करेंगे।
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