अगले माह के मध्य तक भारत को रूस की चर्चित एस-400 मिसाइल सिस्टम मिलने की उम्मीद है। इस मिसाइल सिस्टम से भारत की सुरक्षा प्रणाली अभेद्य हो जाएगी। भारत और रूस के बीच 15 अक्टूबर, 2016 को इस मिसाइल सिस्टम को लेकर समझौता हुआ था। यह सौदा करीब 40 हजार करोड़ रुपये का है। दोनों देशों के बीच हुए इस रक्षा समझौते के पांच वर्ष बाद भारत को यह मिसाइल सिस्टम मिलने जा रहा है। इस मिसाइल सिस्टम से भारतीय दुश्मनों की चिंताएं बढ़ गई है। उधर, अमेरिका भी भारत पर इस मिसाइल सिस्टम को नहीं लेने का लगातार दबाव बना रहा है। आखिर इस मिसाइल सिस्टम की क्या खूबियां है। रूसी रक्षा उपकरण से चीन और पाकिस्तान क्यों चिंतित है। भारतीय सेना में इसके शामिल होने का मतलब क्या है। कितनी मजबूत होगी देश की रक्षा प्रणाली
रूसी मिसाइल S-400 की खूबियां
1- इसका पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है, जिसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। रूस द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। एस-400 दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है।
2- भारतीय सेना में शामिल होने के बाद सीमाओं की सुरक्षा अधिक और हमले का खतरा कम हो जाता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पता पहले ही लगा लेता है। इससे दुश्मन के इरादों का पता पहले ही लग जाता है और सेना आसानी से सतर्क हो जाती है।
3- यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है। इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है। इसको आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
4- यह मिसाइल सिस्टम अत्याधुनिक रडारों से लैस है। इसमें लगा हुआ अत्याधुनिक राडार 600 किमी की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है और उसे नष्ट कर सकता है। सेटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं।
5- S- 400 मिसाइल में अत्याधुनिक राडार लगे होते हैं, जो दुश्मन का पता लगाते ही अपने कंट्रोल कमांड को सिग्नल भेजते हैं। इसमें टारगेट की दूरी, उसकी स्पीड समेत सभी जरूरी सूचनाएं शामिल होती हैं। इसके बाद कमांड कंट्रोल की तरफ से मिसाइल लान्च का आदेश दिया जाता है।
6- यह मिसाइल सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट करने में सक्षम है। इसके तीन प्रमुख अंग हैं जिनमें मिसाइल लांचर, राडार और कमांड सेंटर शामिल है।
चीन के पास पहले से है एस-400
चीन ने पहले ही रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद चुका है। उसने छह सिस्टम खरीदे हैं। उसमें से दो की तैनाती उनसे वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी से पास कर रखी है। रिपोर्ट के मुताबिक एएससी के करीब शिंजियांग के होटन एयर बेस पर एक सिस्टम तैनात है, जबकि दूसरा तिब्बत में नयिंग्चि एयर बेस पर तैनात है। चीन ने इस मिसाइल सिस्टम के लिए रूस से 2014 में सौदा किया था। यह मिसाइल सिस्टम रूस की सेना में इसे 2007 में शामिल किया गया था। रूस से सबसे पहले तुर्की को इसकी आपूर्ति की थी। रूस ने इसे सीरिया में भी तैनात किया हुआ है।
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