December 23, 2024

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कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष: वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” के कान्हा और राधा को समर्पित छंद

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष: वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” के कान्हा और राधा को समर्पित छंद

वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
देहरादून, उत्तराखंड


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भगवान कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर “uttarakhand mimansa” हिंदी न्यूज पोर्टल के पाठकों और समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान कृष्ण के आशीष से विश्व में सुख, शांति के साथ मानव समृद्ध रहे।

 

घनाक्षरी छंद

कारा की दीवारें देखो, बनेंगी गवाह आज
आयेंगे सलाखों बीच, खुद भगवान हैं।

कैसा ये सौभाग्य रहा, वासुदेव देवकी का
विपदा के बीच सच, होना वरदान है।

घटा घनघोर छाई, आंख भर भर आई
खुल गए पट खुद, कोख का सम्मान है।

बरस रहा था पानी, वक़्त ने लिखी कहानी
आधी रात जन्मा शिशु, ईश का विधान है।।


राधा रानी नयनों से बोलतीं है प्रीत जब
मोहन सम्मोहन में चित्त हार जाते हैं।

मुग्ध हो के विचरण होता प्रीत गलियों में
नेह का असीम तब द्वार बन जाते है।

मोहक सी चितवन खिल उठा मधुवन
मन की वीणा के वो तो तार बन जाते हैं।

रास के वो रचियता, गोपियों के प्रिय सखा
राधिका के श्यामल जी सार बन जाते हैं।।

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सार छंद

रास रचाते मोहन राधा, गीत बांसुरी गाती
कालिंदी के तट पर उनकी, प्रीत खूब मुसकाती।

नयन बांचते मन की भाषा, दोनों हैं हमजोली
चित समाये एक दूजे के, प्रीत रंग की होली।

पवन मोहनी साथ निभाती, राधा से बतियाती
धानी चुनरिया मनमोहन के, अधरों को छू जाती।।