श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने शुक्रवार को श्रीलंका की मानवीय सहायता में भारत के आगे आने की बात कही। उन्होंने दोनों देशों को समुद्री पड़ोसी देश बताया। उच्चायुक्त वागले ने कहा, ‘ श्रीलंका की मानवीय सहायता के लिए भारत आगे आया है।’
उच्चायुक्त बागले ने कहा, ‘जब भारत कोराना महामारी से जूझ रहा था तब इसके लिए श्रीलंका में दुआएं और प्रार्थना हुई और जब श्रीलंका में महामारी ने विनाश किया तब इसकी मदद के लिए भारत से दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई भेजी गई। हम कोरोना के बाद आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका सरकार के साथ निकट संपर्क और चर्चा में हैं।’
इसी साल फरवरी में भारत ने श्रीलंका को 40,000 मीट्रिक टन ईंधन की आपूर्ति की थी। उस वक्त भी उच्चायुक्त बागले ने कहा था कि भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार और श्रीलंका का सच्चा मित्र है। श्रीलंका ने भारत के प्रमुख तेल कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन से 40,000 मीट्रिक टन डीजल और पेट्रोल खरीदने का विकल्प चुना, ताकि विदेशी भंडार में कमी के कारण आर्थिक संकट में तत्काल ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
तेल टैंकर स्वर्ण पुष्प की बड़ी खेप की डिलीवरी के बाद उच्चायोग ने कहा था कि भारत-श्रीलंका साझेदारी श्रीलंका में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखेगा।
गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहे द्वीप राष्ट्र को जनवरी में भारत ने देश में लगभग सभी आवश्यक वस्तुओं की कमी के बीच अपने घटते विदेशी भंडार और खाद्य आयात के लिए श्रीलंका को 900 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण की घोषणा की थी। श्रीलंका के लिए आर्थिक राहत पैकेज ने द्वीप राष्ट्र को एक जीवन रेखा प्रदान की। दरअसल विदेशी भंडार अभूतपूर्व स्तर तक गिर गया है और इससे बिजली की आपूर्ति और ईंधन की उपलब्धता प्रभावित हुई है।
वहीं, इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका को ईंधन खरीद के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डालर की क्रेडिट लाइन देने का एक समझौता सील कर दिया गया था जो तत्काल आर्थिक राहत पैकेज का हिस्सा था। इस बीच, श्रीलंका ने सबसे आवश्यक वस्तुओं की कमी का अनुभव किया क्योंकि आयात के लिए भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी के कारण आयात पर अंकुश लग गया था।
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